
वॉरेन बफेट बोलते हैं कि Benjamin Graham se मैंने बहुत कुछ सीखा, लेकिन इनके अलावा एक और इंसान हैं जिससे मैंने काफी कुछ सीखा था और वो है फिलिप फिशर अपने करियर के शुरू में तो वॉरेन बफे ने बेंजामिन ग्राहम की फिलॉसफी से इन्वेस्ट किया लेकिन उन्हें रियल ग्रोथ तब मिली जब फिलिप फिशर की फिलॉसफी को भी उन्होंने यूज़ करना स्टार्ट किया वॉरेन बफेट ne शेयर होल्डर की मीटिंग में कहा था कि मैं फ़िल्म फिशर के काम से बहुत इम्प्रेस हुआ था जब मैंने उनकी dono books पड़ी थी
तो आज ye post इसी टॉपिक के बारे में है हम बच्चों की भाषा में बेंजामिन ग्राहम और फिलिप Fisher की फिलॉसफी को समझेंगे विद रियल एग्ज़ैम्पल ,
तो chaliye सबसे पहले बेंजामिन ग्राहम की फिलॉसफी को समझते हैं बेंजामिन ग्राहम बोलते है की अगर तुम्हें किसी कंपनी की वैल्यू निकालनी है तो मान लो कि उसे ताला लगने वाला है और उसका बिज़नेस बंद होने वाला है जिसका मतलब है कि कल से वो कंपनी एक भी पैसा नहीं कमाने वाली तो अब मेरा आपसे सवाल यह है कि अगर ऐसा हुआ कि कंपनी कल से कोई बिज़नेस नहीं करने वाली तो इस मूवमेंट पर कंपनी की वैल्यू क्या होगी?
जो भी उसके अंदर सामान है उसे बेचने के बाद जितने भी उससे पैसे मिलेंगे उसमें से उस कंपनी का जो उधार है वो देदो जितने पैसे बचेंगे वहीं उसकी कीमत है क्योंकि ये वही अमाउंट है जिसके लिए इन्वेस्टर sure है कि इतना तो कंपनी को बेचने पर मिल ही जाएगा
आइए एक रियल एग्जाम्पल dekhte हैं –
एक कंपनी है वर्तमान होल्डिंग्स लिमिटेड जिसका मेन काम है दूसरी जगह इन्वेस्ट करना, जैसे की उधार देना या फिर इक्विटी या रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करना अब इस कंपनी की जो मेन कमाई का सोर्स है यानी जो एअर्निंग जाती है वो उससे hi आती है उन इन्वेस्टमेंट के डिविडेंट से, जिनमे इसने इन्वेस्ट किया है तो आइए बेंजामिन ग्राहम के मैथड से इस कंपनी को देखते हैं
कंपनी की अगर मार्केट कैप हम देखे तो वो है करीबन नौ सौ छिहत्तर, करोड़ रुपए यानी पूरी कंपनी आप खरीद सकते हो 976 करोड़ रूपीस में,
लेकिन अगर हम इसकी बैलेंस शीट में जाए तो इसके पास रिज़र्व
ट्वेंटी सेवेन हंड्रेड करोड़ रूपीस के हैं और debt यानी उधार जीरो है तो 2700 करोड़ की Asset वाली कंपनी 976 करोड़ रूपीस में मिल रही है तो ये तो बेंजामिन ग्राहम के अकॉर्डिंग बहुत सस्ते में ट्रेड हो रही है
इसे तो हमे खरीद लेना चाहिए लेकिन लोग इसके शेयर ज्यादा नहीं खरीद रहे हैं
अब सवाल ye आता है कि ऐसा क्यों है,
बहुत से लोगों का मानना है कि इंडिया में Benjamin Graham के रूल नहीं चलते इसके दो मेन रीज़न हैं पहला रीज़न तो यह है कि इन्वेस्टर्स को कंपनी के मैनेजमेंट पर ही भरोसा नहीं है उन्हें पता है कि ये पैसा शेयर होल्डर तक पहुंचेगा ही नहीं,
इंडिया में ज्यादातर शेयर की वैल्यू तभी बढ़ती है अगर कंपनी ग्रो करेगी और इसीलिए वर्तमान जैसी कंपनी सालों तक अपने एसेट्स की वैल्यू से भी कम पर ट्रेड करती रहती है, लेकिन इससे कोई भी नहीं खरीदता, इसलिए उनका प्राइस भी नहीं बढ़ता ,
अब बात करते हैं दूसरी फिलॉसफी की और वो है Warren के दूसरे फेवरेट इन्वेस्टर फिलिप फिशर की,
की यार ऐसी बकवास कंपनी सस्ते प्राइस पर मत खरीदों, जिन्होंने कभी Paisa Banaya ही नहीं बल्कि उन कंपनीज़ में इन्वेस्ट करो जो ग्रो कर रही है, उन्हें नॉर्मल प्राइस पर खरीद लो और उसके बाद उन्हें बेचने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि यह कंपनी grow होती रहेंगी और उसके साथ उसका शेयर प्राइस भी बढ़ता ही रहेगा ,
अब आप बोलेंगे की फिलॉसफी तो ठीक है लेकिन Aisi companies ko identify कैसे करें? तो ऐसी कम्पनीज़ को आइडेंटिफाइ करने के लिए फिलिप फिशर ने फिफ्टीन पॉइंट्स की चेक लिस्ट दी है जिनमें se कुछ पॉइंट्स हम डिसकस करेंगे इन कंपनीज में सबसे पहला पॉइंट आता है शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म यानी जो कंपनी के ओनर है वो बस शोर्ट टर्म में ही पैसा कमाना चाहते हैं या फिर इस तरीके से कंपनी चला रहे हैं ताकि लॉन्ग टर्म में भी वो पैसे कमा सकें इसका परफेक्ट एक्साम्पल है ऐमज़ॉन,
ये कस्टमर ऑफसेट कंपनी है जेफ बेजोस का शुरू से मानना है कि अगर कस्टमर को तुम खुश रखोगे तो लॉन्ग टर्म में कंपनी प्रॉफिट कमाएगी ही कमाएगी,
ये हम जेफ बेजोस की 1999 के इंटरव्यू से भी देख सकते हैं जब ऐमज़ॉन एक नॉर्मल सी कंपनी थी और जेफ बेजोस एक नॉर्मल सीईओ,
जब जेफ बेजोस को एक इंटरव्यू में पूछा गया कि इन्वेस्टर्स को पता होना चाहिए की वो किस कंपनी में इन्वेस्ट कर रहे हैं तुम कहते हो की इंटरनेट कंपनी है तो फिर ये इतनी प्रॉपर्टीज़ क्यों खरीद रही है इस पर जेफ बेजोस ने कहा – कुछ भी हो हम कस्टमर ऑफसेट कंपनी है और अगर इनवेस्टर्स लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव से हमारी कंपनी में पैसे लगाएंगे तो इन्वेस्टर्स कभी भी अपने पैसे loose नहीं करेंगे,
इन शोर्ट इनका हमेशा लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव था
नेक्स्ट लाइन कहती है ki achhi सिचुएशन jab यानी कंपनी जब अच्छा कर रही है तो उसकी मैनेजमेंट पक्का आएगी और कहेगी कि हाँ हमने ये सब अचीव किया है लेकिन जब बुरी सिचुएशन आती है तो वो भाग जाएगी लेकिन एक इंटिग्रिटी वाली कंपनी बुरी सिचुएशन में भी एक्सेप्ट करेगी कि उनसे गलती हुई है इसका परफेक्ट एक्साम्पल है वॉरेन बफेट ,
ऐक्चूअली वॉरेन बफेट की फर्म ने 1987 में एक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म का 12 परसेंट शेयर खरीदा था जिसका नाम था सैलून ब्रदर्स अब हुआ ये था की सैलून ब्रदर्स बहुत सी कंट्रोवर्सीज में आ गई थी
वॉरेन बफेट ने सब कमेटी के सामने कहा कि मैं सैलून ब्रदर्स के आठ हज़ार इम्प्लॉइज और खुद की तरफ से आपसे माफी मांगता हूँ जबकि सबको पता था कि वॉरेन बफेट का कभी कोई हाथ नहीं था or iski bajah se बहुत से लोगों ने वॉरेन बफेट को रिस्पेक्ट करना स्टार्ट कर दिया,
दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने बात की होरन बफेट की इन्वेस्टमेंट् फिलॉसफी के बारे में,
दोस्तों आई हो कि आज कि यह पोस्ट आपको काफी अच्छी लगी होगी और काफी नॉलेजेबल रही होगी आगे भी ऐसी ही जानकारी के लिए बैल आइकन प्रेस कर लीजिए आपको हमारी नई पोस्ट के नोटिफिकेशन मिलते रहे
और हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद