Power Of Compounding In Short Term In Hindi

मुझे आशा है कि आप कंपाउंडिंग के पावर के बारे में जानते होंगे लेकिन मैक्सिमम लोग केवल लोंग टर्म कंपाउंडिंग के बारे में जानते हैं
दोस्तों कंपाउंडिंग दो तरह से की जा सकती है लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग or शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग,
लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग में आप अपने पैसे को long-term के लिए इन्वेस्ट करके छोड़ देते हैं उसको कंपाउंड होने देते हैं लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग Stocks or म्यूचुअल फंड में की जाती है स्मॉल केस और ईटीएफ में bhi की जाती है
आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग के बारे में,
तो दोस्तों आप सभी के लिए एक गुड न्यूज़ है आप शॉर्ट टर्म ने भी कंपाउंडिंग कर सकते हैं और इसको करने के लिए आपको जीनियस बनने की कोई जरूरत नहीं है आप इसको सिंपल तरीके से कर सकते हैं
लोगों के दिमाग में एक सवाल होगा कि हम कंपाउंडिंग कैसे करें?
आज इस पोस्ट में आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा,
शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग करने के लिए आपको कुछ चीजों में महारत हासिल करनी होगी,
उसके बाद आप शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग कर पाएंगे,
नंबर 1 – ब्रेकआउट ट्रेडिंग – दोस्तों अगर आप शॉर्ट टर्म में कंपाउंडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग करनी आनी चाहिए, और ट्रेडिंग करने का सबसे बेस्ट तरीका होता है ब्रेकआउट ट्रेडिंग करना ,
और इसको करने का सिंपल तरीका यह है कि जब शेयर अपने मेजर रजिस्टेंस को ब्रेकआउट देकर ऊपर जाने लगे तो आपको उसमें खरीदारी करनी है, आपको आपका स्टॉपलॉस लेवल भी पता होना चाहिए कि आप उस ट्रेड में कितना लॉस लेंगे,
दोस्तों मार्केट में आप कभी भी गलत हो सकते हैं इसलिए आपको आपका स्टॉपलॉस लेवल पता होना चाहिए कि अगर किसी वजह से आपकी ट्रेड गलत जाती है तो आप कितना लॉस लेकर उस ट्रेड से बाहर हो जाएंगे,
और साथ में आपको आपकी ट्रेड के टारगेट भी पता होने चाहिए कि आपको उस trade में कितना प्रॉफिट हो सकता है,
तो आप ब्रेकआउट ट्रेडिंग में महाराज हासिल कर लेते हैं तो आप short-term कंपाउंडिंग करने के लिए एक कदम आगे बढ़ जाएंगे,
नंबर 2 – इमोशन कंट्रोल पावर-दोस्तों अगर आप शॉर्ट टर्म में कंपाउंडिंग करना चाहते हैं तो आपका इमोशन कंट्रोल में होना चाहिए जिसमें 3 मेन इमोशन है लालच डर और घमंड (ego),
दोस्तों यह तीन इमोशन ऐसे हैं जो आपको मार्केट में पैसा नहीं बनाने देंगे या शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग नहीं करने देंगे इसलिए आपको इन तीनों के ऊपर जीत हासिल करनी होगी,
डर की वजह से आप किसी स्टॉक में से निकल जाएंगे कि कहीं आपका लॉस ना हो जाए या फिर रिस्क लेने से डरेंगे और अगर रिस्क नहीं लेंगे तो रिवॉर्ड भी नहीं मिलेगा,
दूसरा है लालच, इसकी वजह से आप किसी ऐसे शेयर में एंट्री ले लेंगे जो लगातार भाग रहा हो या भागकर ज्यादा ऊपर चला गया हो और स्टॉक वहीं से गिरना शुरू हो जाएगा, जब भी मार्केट में आपको लालच आएगा तब आप मैक्सिमम टाइम लॉस करेंगे इसलिए आपको अपने लालच को कंट्रोल में रखना चाहिए,
नंबर 3 – टॉप एंड बॉटम की पहचान- दोस्तों वैसे तो टॉप और बॉटम को पहचानना मुश्किल है लेकिन इंपॉसिबल नहीं है अगर आप टॉप और बॉटम पहचानना सीख लेते हैं तो आप बॉटम पर खरीद कर टॉप पर सेल कर पाएंगे, और इसको सीखा जा सकता है dow theory से,
इसलिए मैं आपको रिकमेंड करूंगा कि आपको dow theory को जरूर पढ़ना चाहिए,
तो दोस्तों अगर आपने इतना सीख लिया तो यह सफिशिएंट है शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग करने के लिए,
तो दोस्तों अब आपको करना यह है कि आपको अपने कैपिटल को डायवर्सिफाई करना है क्योंकि अगर आप सारा पैसा एक ही कंपनी में इन्वेस्ट करोगे तो यह ज्यादा रिस्की हो जाएगा,
इसलिए आपको अपने पैसे को कम से कम 10 पार्ट में डिवाइड करना चाहिए ऐसा करने से आप का रिस्क बहुत ही कम हो जाएगा और जब रिस्क कम हो जाता है तो reward अपने आप ही बढ़ जाता है,
क्योंकि दोस्तों हम अपने risk को मैनेज कर सकते हैं अपने reward को हम मैनेज नहीं कर सकते क्योंकि वह हमारे हाथ में नहीं होता ,
हमारे हाथ में केवल अपना रिस्क होता है,
अब मान लीजिए कि आपने अपने कैपिटल को 10 पार्ट में डिवाइड कर दिया तो आपको करना यह है कि आपको अपने कैपिटल को दस अलग-अलग कंपनियों में इन्वेस्ट करना है breakout trading के लिए,
और वह भी स्टॉपलॉस के साथ में, उसके बाद आपको देखना है कि कौन सी कंपनी आपका स्टॉपलॉस हिट कर रही है और कौन सी कंपनी का स्टॉक ऊपर जा रहा है जो स्टॉप ऊपर जा रहे हों उनको होल्ड करना है जब तक वह ऊपर जाते रहे या फिर आपके टारगेट ना मिल जाए जो कंपनियां स्टॉपलॉस हिट कर रही हैं उनको सेल करके दूसरी नई ब्रेकआउट कंपनियों में इन्वेस्ट करना है ब्रेकआउट ट्रेडिंग के लिए,
जो कंपनियां प्रॉफिट बना कर दे उनमें से थोड़ा-थोड़ा प्रॉफिट बुक करते रहना है ब्रेकआउट कंपनियों में पैसे को Reइन्वेस्ट करना है ऐसा करने से आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू भी बढ़ेगी आपका लॉस भी नहीं होगा क्योंकि आप स्टॉपलॉस फॉलो कर रहे हैं और आप अच्छा प्रॉफिट भी बुक करेंगे,
अब मान लीजिए कि आपका पोर्टफोलियो ₹100000 का है और इस हिसाब से आपने एक कंपनी में इन्वेस्टमेंट की ₹10000 की ,
और किसी कंपनी ने आपको 50 परसेंट प्रॉफिट दिया तो उस कंपनी में के इन्वेस्ट किए गए पैसे की वैल्यू हो गई 15000,
आपने इस 15000 में से 5000 बुक कर लिए आपके किस और शेयर ने भी आपको 50 परसेंट का प्रॉफिट दिया आपने उसमें से भी 5000 बुक कर लिए अब आपके पास में प्रॉफिट है 10,000 रुपए,
तो अब आप इसी ₹10000 से एक नई ब्रेकआउट कंपनी में खरीदारी कर सकते हैं ,
मान लीजिए कि आपके किसी स्टाक ने स्टॉपलॉस हिट कर दिया ,
आपको एक शेयर में मैक्सिमम loss लेना है अपने पोर्टफोलियो का एक परसेंट, ,
तो इस हिसाब से अगर आपके पोर्टफोलियो का कोई शेयर स्टॉपलॉस हिट करता है तो आपका मैक्सिमम लॉस होगा ₹1000,
और अगर आपका कोई शेयर प्रॉफिट देगा तो प्रॉफिट होगा ₹5000,
आप प्रॉफिट को री इन्वेस्ट करके अपने पोर्टफोलियो की वैल्यू को बढ़ा सकते हैं और ऐसे ही की जाती है शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग,
आपको सिंपल करना यह है कि अपने लॉस को कम रखना है और प्रॉफिट को ज्यादा,
अपने प्रॉफिट को reइन्वेस्ट करते रहना है ,

मुझे आशा है कि आप शॉर्ट टर्म कंपाउंडिंग के बारे में अच्छे से समझ गए होंगे,

हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद

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